अगर केवल इंतना सोच लीया की रास्तों के पत्थर हटाने है, क्योंकी वहां से किसी और को भी गुजरना है तो वाकई ये दुनिया बहुत सुंदर एवं सोहार्दपूर्ण हो जायेगी। बदलाव किसी और में न करके अपने आप में करना पड़ेगा, तभी यह लागू भी हो पायेगा। फीर आप को देख कर लोग बदलेंगे।
डॉ प्रवीण शर्मा
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